top of page
Search

मदर इंडिया 2025

परिस्थितियां मेरी कहानियों को जन्म देती है। आज की परिस्थितियों ने भी एक कहानी को जन्म दिया है। शीर्षक है...... #मदर_इंडिया_2025 2025 बरेली जिले की तहसील नवाबगंज! बीच बाजार में रतलानी एग्रो का ऑफिस जिसकी टैगलाइन है, धूप हो या बरसात, हमेशा किसान के साथ। दोपहर का समय है नवाबगंज ब्रांच के मैनेजर कमलेश अपने ऑफिस में बैठे हुए हैं। कमलेश का चमचा या किसानों को रतलानी एग्रो तक घेर कर लाने वाला दलाल बनवारी बाहर बैठा है। अरे ओ बनवारी अंदर आ जा पीठ पर खुजली हो रही है! खुजली करते हुए बनवारी-- अरे साहब आपने तो तीन-चार साल में कमाल ही कर दिया। 20-25 परसेंट नवाबगंज तहसील की जमीन रतलानी एग्रो के नाम करवा दी। कमलेश थोड़ा सा चौड़ा हो जाते हैं। साहब आजकल आपकी मोटरसाइकिल पचपेड़ा गांव की तरफ बहुत जा रही है। क्या चक्कर है? कहीं किसी पर दिल तो नहीं आ गया?


हट हट मेरे साथ चकल्लस करता है। अरे पचपेड़ा में राधा अपने दो बच्चों के साथ रहती है। 3 साल से हमारी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट खेती कर रही है। पिछले 2 साल मौसम खराब होने के कारण फसल अच्छी नहीं हुई इसलिए वह हमें पूरी फसल नहीं दे पाई। और हमारा कर्जा उस पर चढ़ता जा रहा है। हमारी कंपनी भी कब तक उसे बीज और खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर फ्री में देती रहेगी। फिर बीच-बीच में घर के खर्चे के लिए भी राधा पैसे उधार लेती रहती है। अरे बनवारी एक बात बता राधा मांग में तो सिंदूर भर्ती है पर उसका मर्द आज तक दिखाई नहीं दिया। क्या चक्कर है? हजूर, राधा और महेश पचपेड़ा की बहुत ही प्यारी जोड़ी थे। दोनों की बहुत इच्छा थी कि उनके बेटे चंदू और नंदू खूब पढ़े,अपने गांव का नाम रोशन करें, अपने मां-बाप का नाम रोशन करें। पर 5 बीघा जमीन से यह सब कुछ नहीं हो सकता था। इसलिए महेश दिल्ली में एक कंपनी में मजदूरी करने चला गया। अपनी मेहनत से महेश वहा सुपरवाइजर हो गया। सब कुछ अच्छा चल रहा था। फिर दुनिया में करोना छा गया। इस कलमुहे करोना ने महेश की नौकरी छीन ली। बदहाल महेश पैदल-पैदल दिल्ली से नवाबगंज की ओर चल दिया। पर गजरौला में पुलिस ने महेश को घेर लिया। पुलिस ने महेश की उठक बैठक लगवाई। और दो चार थप्पड़ भी मार दिए। महेश का वीडियो वायरल हो गया। महेश आजाद भारत में अपनी ऐसी बेइज्जती सहन नहीं कर पाया। वह घर आने की जगह गजरौला से ही कहीं और चला गया। 5 साल हो गए हुजूर आज तक उसका कुछ भी पता नहीं चला। हजूर तब चंदू 14 साल का था और नंदू 12 साल का। अरे हजूर हमसे तो आपने सब कुछ पूछ लिया। अपने बारे में नहीं बताया। आपकी मोटरसाइकिल बार-बार पचपेड़ा की तरफ क्यों मुड जाती है। कही राधा रानी पर दिल तो नहीं आ गया? अरे नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। बस राधा की गरीबी और उसके ऊपर बढ़ते हुए कर्ज देख कर उस पर थोड़ा तरस आ जाता है। पर राधा है कि हाथ ही नहीं रखने देती। कमलेश और बनवारी दोनों खिलखिला कर हंसते हैं। अरे हजूर नंदू से थोड़ा सावधान रहना! बहुत ही शरारती और बदमाश बच्चा है। अरे बनवारी हमने भी कच्ची गोली नहीं खेली है। जिस पर भी नजर डाली, अपना बनाया ही है।हा हा हा आज फिर कमलेश की मोटरसाइकिल पचपेड़ा की ओर दौड़ लगा रही थी। राधा अकेले ही अपने खेत में काम कर रही थी। राधा को अकेले देख कर कमलेश के हौसले और बुलंद हो गए। मोटरसाइकिल एक तरफ खड़ी करके कमलेश राधा के पास पहुंचा-- अरे राधा रानी कब तक ऐसे ही मेहनत करती रहोगी? एक रात की तो बात है। तुम्हारा सारा कर्जा कंपनी से अपने नाम करवा लूंगा। फिर आराम से जिंदगी काटना। साहेब जितनी जल्दी हो सके, यहां से चले जाओ। कहीं नंदू ने देख लिया तो आप के दो टुकड़े करके यही खेत में गाड देगा। होनी को कौन टाल सकता है? नंदू साइकिल से अपने खेत की तरफ ही आ रहा था। दूर से ही नंदू सब कुछ देख लेता है। जैसे ही कमलेश की नजर नंदू पर पड़ी। वह अपनी मोटरसाइकिल की तरफ दौड़ा! और मोटरसाइकिल लेकर नवाबगंज की तरफ चल दिया। नंदू ने राधा को पेड़ के नीचे बैठाया और वही रखी कुल्हाड़ी उठाकर साईकिल से ही मोटरसाइकिल के पीछे पीछे चल दिया। राधा गांव की तरफ भागी। चंदू चंदू 10 मिनट के लिए हरीश की मोटरसाइकिल ले लो और मुझे लेकर नवाबगंज चलो। कमलेश नवाबगंज आकर अपने ऑफिस में बैठ गया जैसे कुछ हुआ ही ना हो। उसे नहीं मालूम था कि नंदू पीछे पीछे ही आ रहा है। नंदू ने रतलानी एग्रो के ऑफिस में पहुंचकर साइकल एक तरफ गिराई, कुल्हाड़ी हाथ में लेकर ऑफिस की तरफ भागा। किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की बल्कि अपने अपने मोबाइल से वीडियो बनाने लगे। नंदू ने जोर से शीशे के दरवाजे पर लात मारी। घबराकर कमलेश अपनी कुर्सी पर से खड़ा हो गया। कमीने हम गरीब हैं तो हमारी इज्जत पर हाथ डालेगा। तुम्हारे पास जमीन गिरवी रखी है, इज्जत नहीं। नंदू ने कमलेश को मारने के लिए कुल्हाड़ी तानी ही थी, दूर से उसके कानों में राधा की आवाज सुनाई दी नहीं नंदू नहीं। पर नंदू के सर पर तो भूत सवार था। नंदू कुल्हाड़ी का वार करने ही जा रहा था कि आवाज आती है ........ ....धाएं।।। और गोली नंदू की पीठ में धंस जाती है। नंदू वहीं ढेर हो जाता है। राधा ने रतलानी एग्रो के बाहर खड़े गार्ड के कंधे से दो नाली छीन कर गोली चला दी थी। पूरा नवाबगंज स्तंभ खड़ा है। 2 महीने बाद बरेली संजय कम्युनिटी हॉल। डीआईजी साहब-- दोस्तों आज हम इकट्ठे हुए हैं राधा रानी को सम्मानित करने।। जिसने अपने बेटे को कानून हाथ में नहीं लेने दिया चाहे अपने बेटे का कत्ल ही करना पड़ा। दोस्तों मैंने आज से राधा रानी का नया नाम रखा है मदर इंडिया 2025 ।।। पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है। दोस्तों एक बात आपको और बतानी थी। कंपनी ने मेरे कहने पर कमलेश का स्थानांतरण चमोली जिले में कर दिया है। अब पड़ा रहेगा सुदूर जंगल में। सीओ साहब बुलाए राधा रानी को। सीओ साहब डीआईजी के पास आते हैं। सर बाहर नवाबगंज पुलिस की जीप आ गई है। अभी इंस्पेक्टर साहब और राधा रानी अंदर आते ही होंगे। इंस्पेक्टर साहब स्टेज पर आकर डीआईजी साहब के कान में, सर राधा रानी आज सुबह ही अपने बेटे चंदू के साथ गांव छोड़कर कहीं चली गई है। कहीं दूर शायद महेश के पास। 1957 की मदर इंडिया हो या 2025 की? कुछ नहीं बदला। बस सुखी राम का नाम रतलानी एग्रो हो गया है। मुकेश बड़गुजर खटीक दादा यदि आप के शानदार पोस्टर ना हो तो मैं कहानी लिख ही नहीं पाऊंगा।

 
 
 

Comments


Subscribe Form

9917116661

©2020 by संजीव जिंदल(साइकिल बाबा) की कलम से. Created By Abhishek Dwivedi

bottom of page